दोस्तों क्रेडिट कार्ड हमें पैसे न होने पर भी पैसे खर्च करने की सुविधा देता है अगर हम हर महीने क्रेडिट कार्ड का बिल चुका देते हैं तो हमें कोई ब्याज नहीं देना पड़ता है लेकिन अगर हम किसी महीने पूरी बिल नहीं भर पाते हैं तो क्रेडिट कार्ड कम्पनियां हमसे ब्याज वसूलती हैं। आइए समझते हैं कि ये ब्याज किस दर से वसूला जाता है और इसकी गणना कैसे की जाती है।
क्रेडिट कार्ड पर ब्याज दर
दोस्तों अलग अलग क्रेडिट कार्ड की ब्याज दरें अलग अलग होती है। ये आपके वार्षिक प्रतिशत दर के आधाऱ पर निश्चित होती हैं
Annual Percentage Rate (APR)
दोस्तों क्रेडिट कार्ड पर ब्याज Annual Percentage Rate यानी APR के आधार पर लगता है। APR क्रेडिट कार्ड प्रोवाइडर तय करते हैं। ये आमतौर पर 18% से लेकर 52% तक होता है।
APR में ब्याज दर के अलावा प्रॉसेसिंग फीस और दूसरे खर्च भी शामिल होते हैं। इसलिए ये घोषित ब्याज दर से ज्यादा होता है।
Monthly Interest Rate
आपका मंथली इंटरेस्ट रेट भी APR के आधार पर कैल्कुलेट किया जाता है। APR में 12 का भाग देने से मंथली इंटरेस्ट रेट निकल आता है। मान लीजिए कि आपका APR 42% सालाना है तो आपका मंथली इंटरेस्ट रेट होगा – 42/12= 3.5%
Daily Interest Rate
इसी तरह APR में 365 का भाग देने से Daily Interest Rate निकल आता है। Daily Interest Rate इसलिए निकाला जाता है क्योंकि जब आप क्रेडिट कार्ड से कैश निकालते हैं या फिर पूरा बिल नहीं भरते हैं तो जिन दिन आप ट्रांजेक्शन करते हैं उसी दिन से ब्याज लगने लगता है। ऐसे में दिन के हिसाब से ब्याज कैलकुलेट किया जाता है
इंटरेस्ट फ्री पीरियड
क्रेडिट कार्ड का ब्याज किस तरह से कैलकुलेट किया जाता है उसे समझने से पहले ये जान लेना जरूरी है कि इंटरेस्ट फ्री पीरियड क्या होता है।
पैसा नहीं होने के बावजूद हम क्रेडिट कार्ड से शॉपिंग के लिए पेमेंट कर सकते हैं। उसके बाद जब क्रेडिट कार्ड की बिलिंग होगी तब हमारी सभी खर्चों को जोड़कर कुल देनदार बताई जाएगी। इस देनदारी को पे करने के लिए भी 10-15 दिन का टाइम दिया जाता है। इस तरह से शॉपिंग की तारीख से लेकर बिल के ड्यू डेट तक आपको एक तरह से उधार मिल जाता है। लेकिन इस उधार के लिए कोई ब्याज भी नहीं लिया जाता है। आइए इसे भी एक उदाहरण से समझते हैं।
मान लेते हैं कि आपके कार्ड का स्टेटमेंट हर महीने की दूसरी तारीख को आता है। और उसकी पेमेंट ड्यू डेट महीने की 22 तारीख होती है। ऐसे में हर महीने की 3 तारीख से लेकर अगले महीने की 22 तारीख तक का समय इंटरेस्ट फ्री क्रेडिट फ्री पीरियड होता है। आप इसका एक्चुअल फायदा कितने दिन का लेते हैं ये शॉपिंग के दिन पर डिपेंड करता है।
लेकिन यहां ध्यान रखने की जरुरत है कि इंटरेस्ट फ्री पीरियड तभी मिलता है जब आपका पिछले महीने का पूरा बिल जमा होता है। अगर आपका पिछले महीने का बिल नहीं जमा है तो आपको इंटरेस्ट फ्री पीरियड नहीं मिलेगा। और जिस दिन आप क्रेडिट कार्ड का यूज करेंगें उसी दिन से ब्याज लगना शुरु हो जाएगा।
क्रेडिट कार्ड पर ब्याज कब लगता है
क्रेडिट कार्ड यूज करने पर दो स्थितियों में ब्याज लगता है।
- बिल समय पर नहीं भरा
- कैश निकालने पर
कैश निकालने पर ब्याज
दोस्तों जब आप क्रेडिट कार्ड का उपयोग करके कैश निकालते हैं तो उसी दिन से निकाली गई राशि पर ब्याज लगना शुरु हो जाता है। इसमें आपको Interest free Credit Period नहीं मिलता है इसका मतलब ये चार्ज उसी दिन से लगता है जिस दिन आप कैश निकालते हैं। इसके अलावा इसमें फाइनेंस चार्ज भी जुड़ता है।
क्रेडिट कार्ड कम्पनियां आमतौर पर निकाले गए अमाउंट का 3% से 5% प्रतिशत कैश एडवांस चार्ज के रुप में लेती हैं।
बिल डिफॉल्ट होने पर ब्याज
दोस्तों अगर आप टाइम पर क्रेडिट कार्ड का बिल भर देते हैं तो ब्याज की चिंता नहीं करनी होती है। क्योंकि फिर आपको इंट्रेस्ट फ्री क्रेडिट मिल जाता है।
लेकिन अगर आप ड्यू डेट तक बिल नहीं चुकाते हैं तो फिर बकाया अमाउंट पर ब्याज लग जाता है। इस ब्याज की दर 2%-4% मासिक होती है। इसके साथ ही इसमें 18 % GST भी लगता है।
ब्याज की गणना के नियम
क्रेडिट कार्ड पर ब्याज आपकी उम्मीद से ज्यादा लग जाता है। और ये होता है इसके खास नियम और कैलकुलेशन के तरीके की वजह से।
- शॉपिंग वाले दिन से ब्याज जुड़ता है
- हर खर्च का अलग कैलकुलेशन
- बिल डिफॉल्ट करने के बाद हर शॉपिंग पर पहले दिन से ब्याज
- कैश निकालने पर पहले दिन से ब्याज
- जीएसटी भी जुड़ जाता है
- जिस दिन बिल चुकाएंगे उस दिन तक का ब्याज देना होगा
- मासिक कंपाउंडिंग होती है
शॉपिंग वाले दिन से ब्याज
क्रेडिट कार्ड पर इंटरेस्ट रेट उस दिन से लगता है जिस दिन आप क्रेडिट कार्ड को यूज करते हैं। मान लीजिए कि 15 दिसंबर को आप क्रेडिट कार्ड से कोई पेमेंट करते हैं और 1 जनवरी को आपका दिसंबर का बिल आ जाता है अगर आपने दिसंबर महीने का बिल पूरा नहीं भरा तो बचे हुए बिल अमाउंट पर 15 दिसम्बर से ही इंटरेस्ट लिया जाएगा।
हर खर्च का अलग कैलकुलेशन
क्रेडिट कार्ड से शॉपिंग करने पर आपको हर खर्च का अलग से ब्याज देना पड़ता है। जैसे मान लीजिए आपने पहली शॉपिंग 10 तारीख को की, फिर अगली खरीदारी 21 तारीख को करते हैं तो दोनों का अलग अलग ब्याज कैलकुलेशन होगा।
बिल डिफॉल्ट होने के बाद हर शॉपिंग पर पहले दिन से ब्याज
दोस्तों अगर किसी महीने में आप बिल नहीं भरते हैं तो फिर आप आगे जितनी खरीदारी करेंगे उस पर पहले दिन से ब्याज लगना शुरु हो जाता है।
कैश निकालने पर पहले दिन से ब्याज
दोस्तों अगर आप क्रेडिट कार्ड से कैश निकालते हैं तो उस पर कैश एडवांस फीस तो लगती ही है। इसके साथ ही पैसे निकालने के पहले दिन से ही ब्याज लगने लगता है।
GST भी जुड़ जाता है
दोस्तों क्रेडिट कार्ड में लगने वाले ब्याज पर जीएसटी भी लगता है। ये 18% की दर से लगता है। जीएसटी भले ही सरकार के खाते में जाता है लेकिन जाता आपकी जेब से ही है।
जिस दिन बिल चुकाएंगे उस दिन तक का ब्याज देना होगा
दोस्तों अगर आप किसी महीने क्रेडिट कार्ड का बिल नहीं भरते हैं तो ब्याज लगना शुरु हो जाता है। ये ब्याज तब तक लगता है जिस दिन तक आप बिल नहीं चुकाते हैं। इसलिए यह सलाह दी जाती है कि बिल डिफॉल्ट होने पर आप अगले बिल का इंतजार न करें बल्कि जितना जल्दी हो सके अपना पूरा बिल भर दें।
मासिक कम्पाउंडिंग होती है
दोस्तों क्रेडिट कार्ड के ब्याज की मंथली कम्पाउंडिंग होती है। यानी कि हर महीने आपके ड्यू अमाउंट में ब्याज जुड़ जाता है और फिर अगले महीने के लिए जो ब्याज लगती है वो इस नए अमाउंट पर लगती है।
जैसे मान लीजिए कि मई महीने का आपका बिल 2000 रुपए है और इसमें 150 रुपए ब्याज लग जाता है। अब जून महीने के लिए आपका देय राशि होगी ₹ 2150। जून के महीने में लगने वाला ब्याज 2150 रुपए पर लगेगा।
क्रेडिट कार्ड पर ब्याज लगाने का तरीका
मान लीजिए अगर आपने 15 दिसम्बर को 10,000 की खरीदारी की। आपके क्रेडिट कार्ड के स्टेटमेंट की डेट 1 जनवरी है। आपका दिसम्बर महीने का कुल बिल 10,000 आता है। जिसका मिनिमम ड्यू बैलेंस 2000 है। आपकी पेमेंट करने की डेट 20 जनवरी है।
अब अगर आप 20 जनवरी तक आप अपने पूरे बिल 10,000 का भुगतान कर देते हैं तो आप पर कोई भी इंटरेस्ट नहीं लगेगा। लेकिन मान लीजिए आपने सिर्फ मिनिमम ड्यु बैलेंस 2000 ही भरते हैं और 8000 रुपए बाकी रह जाते हैं तो इस बाकी बचे 8000 पर आपको ब्याज देना पड़ेगा।
अब यहां पर ये सवाल उठता है कि 8000 पर ब्याज कबसे लगेगा ? तो आपके बचे हुए अमाउंट पर ब्याज 15 दिसम्बर यानी की खरीदारी के दिन से लगेगा।
इसके अलावा अगर आप क्रेडिट कार्ड से पैसे निकालते हैं तो उसी दिन से ब्याज लगना शुरु हो जाता है जिस दिन आप पैसे निकालते हैे।
ध्यान देने की बात यह है कि आपके बकाया बैंलेंस में ब्याज तब तक लगता रहेगा जब तक कि आप अपना पूरा बकाया नहीं चुका देते हैं। इसके अलावा आप आगे जितनी भी ट्रांजेक्शन करेंगे उन पर भी ब्याज लगेगा। इसलिए ये सलाह दी जाती है कि आप अपना बिल समय से चुका दें नहीं तो आप कर्ज के जाल में फँस सकते हैं।
क्रेडिट कार्ड के ब्याज की गणना
आइए अब समझते हैं कि फाइनेंस चार्ज कैसे कैलकुलेट किया जाता है।
मान लेते हैं कि आपके कार्ड का स्टेटमेंट हर महीने की दूसरी तारीख को आता है। और उसकी पेमेंट ड्यू डेट महीने की 22 तारीख होती है।
अब आप 30 अप्रैल को क्रेडिट कार्ड से 1200 रुपए की रिटेल खरीदारी करतै हैं। तो 2 मई के स्टेटमेंट में आपका कुल बिल 1200 रुपए आएगा जिसे आपको 22 मई तक चुकाना होगा।
21 मई को आप पूरा बिल चुकाने की बजाय सिर्फ मिनिमम ड्यू अमाउंट 200 रुपए ही भरते हैं।
25 मई को आप 1000 रुपए की नई खरीदारी करते हैं
ऐसे में आपके 2 जून को आने वाले स्टेटमेंट में फाइनेंस चार्ज कुछ इस तरह कैलकुलेट किया जाएगा-
A) फाइनेंस चार्ज =( आउटस्टैंडिंग अमाउंट X 3.50% X 12 महीने X दिनों की संख्या)/365
₹1,200 पर फाइनेंस चार्ज 30 अप्रैल से 20 मई तक(21 दिन) | ₹28.99 |
₹1,000 पर फाइनेंस चार्ज 21 मई से 2 जून तक (13 दिन) | ₹14.95 |
₹1,000 की नई खरीदारी पर फाइनेंस चार्ज 25 मई से 2 जून (9 दिन) | ₹10.35 |
2 जून तक कुल फाइनेंस चार्ज | ₹54.29 |
B) कुल आउटस्टैंडिंग अमाउंट = पिछले महीने का आउटस्टैंडिंग अमाउंट+नई खरीदारी का अमाउंट
= ₹1,000+ ₹1,000
= ₹2,000
इस प्रकार 2 जून को दिया जाने वाला कुल अमाउंट होगा – कुल आउटस्टैंडिंग अमाउंट+फाइनेंस चार्ज + टैक्स
अगर आप 21 मई को मिनिमम ड्यू बैलेंस नहीं भरते तो 2 जून के बिल में लेट पेमेंट फीस भी जुड़ जाती ।
भारी ब्याज से कैसे बचें (EMI, personal loan)
दोस्तों अगर आप क्रेडिट कार्ड पर लगने वाले भारी ब्याज से बचना चाहते हैं तो आपको कुछ जरुरी कदम उठाना चाहिए
- आप अपने क्रेडिट कार्ड का पूरा बिल चुका देते हैं तो आप पर किसी भी प्रकार का कोई ब्याज नहीं लगेगा। इसलिए ड्यू डेट तक आप अपना पूरी बकाया राशि चुका दें।
- अगर आप किसी कारणवश ड्यू डेट तक अपना पूरी बिल नहीं चुका पाते हैं तो जल्दी से जल्दी बिल चुका देंगे। क्योंकि अगर आपके अकाउंट पर बकाया रहेगा तो आगे की हर शॉपिंग पर ब्याज लगना शुरू हो जाएगा। इससे आप कर्ज के मकड़ जाल में फंसते चले जाएंगे।
- जहां तक हो सके क्रेडिट कार्ड से कैश नहीं निकालें क्योंकि इसमें कैश एडवांस फीस लगती है और जिस दिन आप कैश निकालते हैं उसी दिन से इंटरेस्ट भी लगने लगता है।
आपके सवाल
प्रश्न- क्रेडिट कार्ड में कौन कौन से चार्ज लगते हैं
उत्तर- क्रेडिट कार्ड में कई तरह के चार्ज लगते हैं जैसे ज्वाइनिंग फीस, सालाना चार्ज इत्यादि। अधिक जानकारी के लिए पढ़ें – क्रेडिट कार्ड पर चार्ज कितना लगता है। कौन-कौनसी फीस लगती है
प्रश्न- क्रेडिट कार्ड की ब्याज दर क्या होती है।
उत्तर- सभी क्रेडिट कार्ड्स की ब्याज दरें अलग अलग होती हैं। ये 18% से लेकर 52% सालाना तक हो सकती हैं।
प्रश्न- क्रेडिट कार्ड में मंथली इंटरेस्ट रेट कितना लगता है।
उत्तर- क्रेडिट कार्ड का मंथली इंटरेस्ट रेट 1.5% से लेकर 4.5% होता है। ये Annual Percentage Rate (APR) के अनुसार निकाला जाता है।
प्रश्न- क्रेडिट कार्ड में ब्याज कब लिया जाता है।
उत्तर- जब आप अपने क्रेडिट कार्ड का पूरी बिल टाइम से नहीं भरते हैं तो आपसे ब्याज लिया जाता है। इसके अलावा जब आप क्रेडिट कार्ड से कैश निकालते हैं तो भी आपसे ब्याज लिया जाता है।
प्रश्न- क्रेडिट कार्ड में ब्याज किस दिन से लगता है।
उत्तर- क्रेडिट कार्ड में ब्याज उसी दिन से लगता है जिस दिन आप क्रेडिट कार्ड का उपयोग करके खरीदारी या कोई और ट्रांजेक्शन करते हैं।
प्रश्न- क्रेडिट कार्ड का बिल कब चुकाना चाहिए
उत्तर – ब्याज से बचने के लिए क्रेडिट कार्ड का बिल पेमेंट की आखिरी तारीख ( ड्यू डेट) तक चुकाना देना चाहिए। अगर ऐसा नहीं करेंगे तो फायदा के बजाय क्रेडिट कार्ड से नुकसान हो जाएगा।