अगर जेब में क्रेडिट कार्ड (Credit card) है तो फिर ठाट होते हैं। शॉपिंग मॉल या डिपार्टमेंटल स्टोर में जाने पर एक अलग ही कॉन्फिडेंस होता है। और हो भी क्यों नहीं क्रेडिट कार्ड से बहुत कुछ खरीद लेने की ताकत मिल जाती है। सेविंग अकाउंट खाली है तो भी चिंता की बात नहीं है। क्रेडिट कार्ड है ना!
इस लेख में हम जानेंगे कि क्रेडिट कार्ड क्या होता है? और इसके नियम क्या हैं? (this article is about the credit card and its rules. )
1. उधार लेने का अकाउंट (Loan account)
दोस्तों क्रेडिट कार्ड (credit card) हमें उधार लेने के अकाउंट की सुविधा देता है। जब हम सेविंग अकाउंट खुलवाते हैं तो हम अपनी तरफ से बैंक में पैसा जमा करते हैं। लेकिन क्रेडिट कार्ड हमें पैसे लेने की सुविधा देते हैं। (Gives loan amount to spend for products and services)
जब हमारे पास पैसे नहीं होते हैं तो हम क्रेडिट कार्ड से पैसै उधार ले लेते हैं। और जब हमारे पास पैसे आ जाते हैं तो उसे चुका देते हैं। इसलिए इसे उधार लेने का अकाउंट कह सकते हैं। (It is a lending account)
2. प्लास्टिक कार्ड की सुविधा (Plastic card)
दोस्तों क्रेडिट कार्ड एक प्लास्टिक का कार्ड होता है। जिसके जरिए हम बैंको से पैसे उधार लेते हैं। इस कार्ड से ही हमारा क्रेडिट अकाउंट जुड़ा होता है। (Provides plastic card for convenience)
इस कार्ड का यूज करके हम जरूरत पड़ने पर खरीदारी कर सकते हैं। या फिर पैसे निकाल सकते हैं। (card can be used for merchant payment and cash withdrawal)
ये एटीएम कार्ड की तरह ही काम करता है। इसे आसानी से पर्स में रखकर ले जाया जा सकता है। (can put in wallet)
3. कई तरह के पेमेंट की सुविधा (Multiple type of Payment)
दोस्तों क्रेडिट कार्ड (credit card) हमें कई तरह की पेमेंट करने की सुविधा देता है।
- इसके जरिए हम खरीदारी कर सकते हैं। इसे ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों तरीकों की पेमेंट में यूज कर सकते हैं। (Use for online and offline shopping)
- क्रेडिट कार्ड के जरिए हम जरूरत पड़ने पर बिजली या पानी का बिल भर सकते हैं। (Bill payments)
- क्रेडिट कार्ड के जरिए हम कैश भी निकाल सकते हैं। (cash withdrawal)
- इसके अलावा क्रेडिट कार्ड से ऑनलाइन शॉपिंग करके हम रिवार्ड, कैशबैक और छूट भी पा जाते हैं। (Rewards and cashbacks)
4. कुछ समय ब्याज नहीं लगता है।(Interest free period)
दोस्तों क्रेडिट कार्ड पर आपको कुछ समय तक ब्याज नहीं लगता है। इस टाइम पीरियड को इंट्रेस्ट फ्री क्रेडिट पीरियड कहते हैं। ये शॉपिंग वाले दिन से बिल पेमेंट की लास्ट डेट तक का टाइम होता है। (Interest free period from the day of shopping to th due date of the bill)
जैसे अगर आपके कार्ड का स्टेटमेंट हर महीने की 4 तारीख को आता है और पेमेंट करने की लास्ट डेट 25 तारीख होती है। ऐसे में हर महीने की 5 तारीख से लेकर अगले महीने की 25 तारीख तक का टाइम इंट्रेस्ट फ्री पीरियड होगा। इस अवधि के लिए आपको ब्याज नहीं देना पड़ेगा।
लेकिन इस बात का ध्यान रहे कि इंटरेस्ट फ्री पीरियड (Interest Free Period) तब मिलता है जब आप हर महीने का बिल समय से जमा कर देते हैं (timely bill payment)। अगर आप बिल नहीं भरते हैं तो आपको ब्याज में छूट नहीं मिलती है।
5. हर महीने बिलिंग (Monthly Billing)
दोस्तों क्रेडिट कार्ड का बिल हर महीने बनता है। महीना पूरा होने पर आपके महीने भर के खर्चों को जोड़कर बिल बनाया जाता है।
इसके बाद आपको बिल भेज दिया जाता है ताकि आप बिल का भुगतान कर सकें। यह बिल हर महीने की निश्चित तारीख को आपको मिल जाता है। (The total spend is billed after every month)
6. बिल भुगतान की तय तारीख (Fixed due date)
दोस्तों जब आपके क्रेडिट कार्ड का बिल (credit card bill) आता है तो उसमें बिल भरने की अंतिम तारीख दी हुई होती है। ये तारीख फिक्स्ड होती है। तय तारीख तक आपको अपना बिल भरना होता है। अगर आप तय तारीख तक अपना बिल भर देते हैं तो आप ब्याज लगने से बच जाते हैं। (No interest if bill payment upto due date)
लेकिन अगर आप फिक्स्ड डेट पर बिल का भुगतान नहीं करते हैं तो आपको दोहरा नुकसान होता है। एक तो आपको लेट पेमेंट फीस देनी पड़ती है दूसरा शॉपिंग वाले दिन से ही ब्याज लगने लग जाता है। (High charges on bill default). इसलिए आपको ये सलाह दी जाती है कि तय तारीख पर अपना बिल चुकता कर दें।
7. फिक्स्ड चार्जेज (Fixed charges)
दोस्तों क्रेडिट कार्ड पर कई तरह के चार्जेस लगते हैं। अच्छी बात ये है कि ये चार्जेस लगभग फिक्स्ड होते हैं। जब आप क्रेडिट कार्ड खरीदते हैं तो आपको इन चार्जेस के बारे में बताया जाता है। आमतौर पर क्रेडिट कार्ड देने वाली कम्पनियां इन चार्जेस को बढ़ाती नहीं हैं क्योंकि इससे उन्हें कस्टमर्स खोने का डर होता है। (Fixed charges for many services)
8. भुगतान में देरी पर भारी ब्याज (Heavy Interest on Late Payment)
दोस्तों अगर आप समय पर क्रेडिट कार्ड का बिल चुका देते हैं तो आप ब्याज देने से बच जाते हैं। क्योंकि आपको इंट्रेस्ट फ्री पीरियड (interest free period) मिल जाता है। लेकिन आप भुगतान में देरी करते हैं तो आपको भारी भरकम ब्याज चुकाना पड़ता है। (High interest after default in bill payment)
दोस्तों क्रेडिट कार्ड पर लगने वाले ब्याज को कैसे कैलकुलेट किया जाता है ये समझना भी बहुत कठिन है। कई बार ये आपकी उम्मीद से काफी ज्यादा होता है। इसमें लेट पेमेंट फीस, मंथली ब्याज, जीएसटी जैसे तमाम चीजें जुड़ी जाती हैं।
9. क्रेडिट स्कोर पर असर (Impact on Credit Score)
दोस्तों क्रेडिट स्कोर (credit score) आपकी क्रेडिट हिस्ट्री के बारे में बताता है। ये बताता है कि आप किसी पैसा उधार लेते हैं तो फिर उसके बाद आप उसका भुगतान कैसे करते हैं। जब आप लोन लेने जाते हैं तो आपका क्रेडिट स्कोर देखा जाता है। (Credit score is prepared on the basis of bill payments)
क्रेडिट कार्ड के यूज (credit card uses) और बिल भुगतान का असर क्रेडिट स्कोर पर पड़ता है। अगर आप क्रेडिट का यूज करते हैं और समय से बिल चुका देते हैं, तो आपका क्रेडिट स्कोर अच्छा होता है। वहीं अगर आप क्रेडिट कार्ड का बिल भरने में लापरवाही करते हैं, तो इससे आपके क्रेडिट स्कोर पर निगेटिव इंपैक्ट पड़ता है। (Timely bill payments increases credit score)
एक अच्छा क्रेडिट स्कोर जहां आपको लोन मिलने की संभावना को बढ़ा देता है वहीं अगर क्रेडिट स्कोर खराब हुआ तो आपका लोन रिजेक्ट होने की चांस अधिक होते हैं। (High credit score ensures loan)
इसलिए आप अपने क्रेडिट कार्ड का बिल समय पर भरते जाएं इससे आपका क्रेडिट स्कोर भी अच्छा बना रहेगा। और आप ब्याज भरने से भी बच जाएंगे।
10. क्रेडिट कार्ड से UPI पेमेंट भी (UPI Payment using Credit Card)
दोस्तों क्रेडिट कार्ड से आप UPI पेमेंट भी कर सकते हैं। लेकिन ये सुविधा सिर्फ रुपे क्रेडिट कार्ड (Rupay Credit card) पर ही मिलती है। इसके लिए आपको अपने क्रेडिट कार्ड को यूपीआई से लिंक करना होगा। (UPI Facility for Rupay Credit card)
आप गूगल पे, फोनपे या भीम पर अपने रुपे क्रेडिट कार्ड को लिंक कर सकते हैं। और फिर उसके जरिए यूपीआई पेमेंट कर सकते हैं। पेमेंट करने के लिए आपको CVV या क्रेडिट कार्ड का पिन डालने की जरुरत नहीं होती। बल्कि आप यूपीआई पिन डालकर पेमेंट कर सकते हैं।
दोस्तों आप जब चाहें तब SBI क्रेडिट कार्ड या कोई और क्रेडिट कार्ड बनवा सकते हैं।और उसका यूज कर सकते हैं। इस लेख में हमने आपको क्रेडिट कार्ड से फायदे बताए हैं। लेकिन इसके कई खतरे भी हैं। अगर आप सावधानी नहीं बरतेंगे तो आपको क्रेडिट कार्ड से नुकसान होने कीं संभावना ज्यादा रहेगी।
क्रेडिट कार्ड से जुड़े सवाल (Frequently Asked Questions)
क्रेडिट कार्ड के लिए आप 3 तरीके से आवेदन कर सकते हैं।
ऑनलाइन एप्लीकेशन – क्रेडिट कार्ड कंपनी की वेबसाइट या फिर एप पर जाकर एप्लीकेशन भर दें
ब्रांच – बैंक की ब्रांच जाकर वहां पर एप्लीकेशन भर कर दें
प्री-अप्रूव्ड ऑफर – कुछ बैंक आपकी हैसियत और इनकम को देखते हुए प्री-अप्रूव्ड क्रेडिट कार्ड देते हैं इसके लिए बस आपको सहमति देनी होती है।
क्रेडिट कार्ड से 4 बड़े फायदे होते हैं
– शॉर्ट टर्म इन्ट्रेस्ट फ्री लोन
– खर्च करने लिए ज्यादा पैसे
– रिवॉर्ड प्वाइंट्स
– क्रेडिट स्कोर बेहतर होता है
क्रेडिट कार्ड को ऑफलाइन और ऑनलाइन दोनों जगहों पर पेमेंट के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है।
दुकानों पर इस्तेमाल करने के लिए फिजिकल कार्ड देना होता है। दुकानदार इसे स्वाइप करके अमाउंट डालता है। उसके बाद आप क्रेडिट कार्ड का पिन डालकर पेमेंट को अप्रूव कर देते हैं।
ऑनलाइन पेमेंट करने के लिए क्रेडिट कार्ड का 16 अंको का नंबर और CVV डालना होता है। उसके बाद मोबाइल पर वन टाइम पासवर्ड आता है। उसे डालने के बाद पेमेंट अप्रूव हो जाता है।
क्रेडिट कार्ड के जरिए हम जब खर्च करते हैं तो रिवॉर्ड प्वाइंटस मिलते हैं। इन प्वाइंटस की वैल्यू 20-25 पैसे होती है। इनके जरिए कई आइटम फ्री में मिल जाते हैं। इसके अलावा आप गिफ्ट वाउचर भी ले सकते हैं।
क्रेडिट कार्ड देने से पहले बैंक अपकी आर्थिक हैसियत की पड़ताल करते हैं। इसके लिए वो इनकम, क्रेडिट हिस्ट्री और दूसरे लोन का पेमेंट रिकॉर्ड चेक करते हैं। पूरी तरह से आश्वस्त होने के बाद ही कार्ड इश्यू किया जाता है।
बैंक 2000 या 3000 से ऊपर की शॉपिंग को किस्तों में पेमेंट का ऑप्शन भी देते हैं। खरीदारी के 30 दिन के अंदर आप किस्तों में पेमेंट के लिए रिक्वेस्ट कर सकते हैं। आमतौर पर किस्तों में इस पेमेंट के लिए ब्याज चुकाना पड़ता है।
आप किसी भी एटीएम के जरिए क्रेडिट कार्ड से कैश निकाल सकते हैं। ये बिल्कुल डेबिट कार्ड की तरह काम करता है। इससे भी पिन डालकर कैश निकाला जा सकता है। बस ये ख्याल रखिएगा कि कैश निकालने पर ब्याज और कैश विदड्रॉल चार्ज देना पड़ता है।
अगर क्रेडिट कार्ड का बिल समय पर नहीं चुकाते हैं तो ब्याज देना पड़ता है। इसके अलावा भी कुछ चार्जेज लगते हैं। इस तरह ब्याज और दूसरे चार्जेज को मिलाकर जो सालाना रेट पड़ता है उसे एन्युअल परसेंटेज रेट कहा जाता है। इससे ग्राहकों को फाइनेंस चार्जेज का सही अंदाजा लगता है।
वैसे तो क्रेडिट कार्ड इश्यू करने पर हर कंपनी और बैंक की अलग-अलग पॉलिसी होती है। लेकिन ज्यादातर बैंक 700 से ऊपर क्रेडिट स्कोर होने पर क्रेडिट कॉर्ड ऑफर करते हैं। अगर आप सैलरीड हैं और किसी प्रतिष्ठित जगह पर काम करते हैं तो भी क्रेडिट कार्ड मिलने की संभावना ज्यादा होती है।
हां, आप चाहे जितने क्रेडिट कार्ड बनवा सकते हैं। इस पर कोई रोक-टोक नहीं होता है। बस इस बात का ध्यान रखें कि आजकल ज्यादातर क्रेडिट कार्ड में एन्युअल चार्ज लगता है इसलिए जितने ज्यादा कार्ड होंगे एन्युअल चार्ज भी उतना ज्यादा हो जाएगा।
क्रेडिट कार्ड की एन्युअल फीस अलग-अलग होती है। क्रेडिट कार्ड के साथ जितनी ज्यादा सुविधाएं होंगी एन्युअल फीस उतनी ज्यादा होगी। कुछ क्रेडिट कार्ड फ्री होते हैं मतलब कोई एन्युअल फीस नहीं लगती है।
क्रेडिट कार्ड की एन्युअल फीस 500 रुपए सालाना से शुरू होकर 10,000 सालाना तक जाती है।
क्रेडिट कार्ड के बिल में एक मिनिमम पेमेंट का ऑप्शन भी होता है। ये कुल बिल से काफी कम होता है। अगर आप सिर्फ मिनिमम बिल पेमेंट करते हैं तो लेट पेमेंट फीस से बच जाएंगे।
लेकिन ब्याज और फाइनेंस चार्ज से नहीं बच पाएंगे। अगर बिल का पूरा पेमेंट नहीं करेंगे तो खरीदारी के दिन से ब्याज देना होगा।
क्रेडिट कार्ड का बिल हर महीने बनता है। आमतौर पर ये हर महीने किसी एक ही तारीख को बनता है। जैसे अगर किसी महीने 5 तारीख को बिल बनता है तो आने वाले सभी महीने की 5 तारीख को ही इसका बिल बनेगा।
अलग-अलग लोगों के क्रेडिट कार्ड के लिए बिलिंग डेट अलग-अलग हो सकती है। आमतौर पर बिलिंग डेट के 15 दिन के अंदर बिल का पेमेंट करना होता है।
क्रेडिट कार्ड से शॉपिंग करने पर हमें तुरंत कुछ भी नहीं देना होता है। बिलिंग के बाद ही पैसा भरना होता है। चूंकि इसकी बिलिंग एक महीने में एक बार ही होती है। इसलिए अगर बिलिंग के अगले दिन शॉपिंग करेंगे तो करीब 30 दिन का इंट्रेस्ट्र फ्री लोन मिल जाता है। इसके बाद भी करीब 15 दिन बिल का पेमेंट करने के लिए दिए जाते हैं। इस तरह क्रेडिट कार्ड में अधिकतम 45-50 दिन का इंट्रेस्ट फ्री पीरियड मिल जाता है।