23 जुलाई 2024 के बजट में सरकार ने कैपिटल गेन्स टैक्स के नियमों को बदल दिया है। वैसे तो सरकार ने लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन्स टैक्स को घटा दिया है। लेकिन इंडेक्सेशन की सहूलियत भी खत्म कर दी है। जिसकी वजह से कुछ लोगों को फायदा होगा लेकिन ज्यादातर लोगों को नुकसान होगा। आइए समझते हैं कि नए नियमों से किसे नुकसान होगा और किसे फायदा । इसके साथ ही हम आपको प्रॉपर्टी पर लगने वाले लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन्स टैक्स को काफी कम करने के का एक स्पेशल तरीका भी बताएंगे।
प्रॉपर्टी के लिए लॉन्ग टर्म और शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन
बजट 2024 में सरकार ने लॉन्ग टर्म और शर्ट टर्म कैपिटल गेन को आसान बना दिया है। अब इसकी उलझन कम हो जाएगी।
अब सरकार ने सभी इन्वेस्टमेंट असेट को दो कैटेगरी में बांट दिया है। बाजार में ट्रेडिंग के आधार पर ये दो कैटेगरी बनाई गई है।
लिस्टेड एसेट
एक तरफ वो एसेट हैं जो किसी ना किसी बाजार में लिस्टेड हैं यानी उनके भाव बाजार के हिसाब से ऊपर नीचे होते रहते हैं। जैसे शेयर, इक्विटी म्यूचुअल फंड, गोल्ड ETF और बिजनेस ट्रस्ट (ReITs, InVITs) लिस्टेड एसेट माने जाते हैं।
अनलिस्टेड एसेट
दूसरी तरफ वो एसेट हैं जो किसी बाजार में लिस्टेड नहीं होते हैं। और उनका भाव बाजार से तय नहीं होता है। जैसे बॉन्ड, डेट फंड, गोल्ड, गोल्ड फंड और प्रॉपर्टी।
अब सभी लिस्टेड एसेट के लिए शॉर्ट टर्म की अवधि एक साल होगी। यानी अगर आप शेयर या इक्विटी म्यूचुअल फंड एक साल के अंदर बेच देते हैं तो मुनाफा शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन कहलाएगा। एक साल के बाद बेचेंगे तो मुनाफा लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन कहलाएगा।
प्रॉपर्टी समेत सभी अनलिस्टेड शेयर के लिए शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन की अवधि दो साल तय की गई है। दो साल के बाद प्रॉपर्टी या डेट फंड बेचने पर मुनाफा लॉन्ग टर्म कहलाएगा।
प्रॉपर्टी पर कैपिटल गेन्स टैक्स
प्रॉपर्टी पर पहले लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन्स टैक्स का रेट 20% था। इसे अब घटाकर 12.5% कर दिया गया है। लॉन्ग टर्म कपैटिल गेन्स टैक्स का ये रेट अनलिस्टेड और लिस्टेड सभी तरह के एसेट के लिए है। मतलब शेयर हो या प्रॉपर्टी लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन्स टैक्स का रेट अब 12.5% हो गया है।
ध्यान रखिए टैक्स का ये रेट मुनाफे पर होता है। बिक्री की कीमत से खरीद की कीमत घटाने पर जो वैल्यू मिलती है वो मुनाफा होता है। और उसी मुनाफे का 12.5% लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन्स टैक्स के तौर पर देना पड़ता है।
जैसे अगर आपने कोई प्रॉपर्टी 40 लाख रुपए में खरीदी और कुछ साल बाद उसे एक करोड़ रुपए में बेच दिया तो फिर आपको 60 लाख का मुनाफा होगा। इसी 60 लाख का 12.5% रकम लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन्स टैक्स होगी। यानी 7.5 लाख रुपए टैक्स देना होगा।
प्रॉपर्टी पर शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन्स के लिए टैक्स का कोई एक फिक्स्ड रेट नहीं होता है। दरअसल अनलिस्टेड एसेट से जो भी शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन होता है उसे आपकी कुल इनकम में जोड़ दिया जाता है। यानी उसके बाद कुल इनकम पर जो टैक्स का रेट बनेगा उसी रेट के हिसाब से टैक्स शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन पर भी हो जाएगा। किसी के लिए ये जीरो भी हो सकता है और किसी के लिए ये 39% तक भी हो सकता है। से सब इनकम टैक्स स्लैब पर निर्भर करता है।
अब प्रॉपर्टी पर इंडेक्सेशन बेनेफिट नहीं मिलेगा
इस बार कैपिटल गेन्स टैक्स रेट से जुड़े नियमों में जो बदलाव हुए हैं उनमें सबसे हैरान करने वाला नियम इंडेक्सेशन खत्म करने का था।
सरकार हमारे मुनाफे पर टैक्स लेती है। लेकिन कई बार ये मुनाफा सिर्फ दिखता है। असल में हमें मुनाफा या तो बहुत कम होता है या होता ही नहीं है। ये कैसे होता है, आइए बताते हैं।
दोस्तों महंगाई बढ़ने के साथ-साथ खाने-पीने की चीजें और दूसरे आइटम भी महंगे होते हैं। इसलिए अगर किसी प्रॉपर्टी की कीमत महंगाई के साथ-साथ ही बढ़ती है तो असल में हमें कोई फायदा नहीं होता है। क्योंकि प्रॉपर्टी बेचने पर हमें जो पैसा मिलेगा उसकी वैल्यू उतनी ही होगी जितने पैसे का हमने प्रॉपर्टी खरीदा था।
प्रॉपर्टी से हमें असली मुनाफा तभी होगा जब उसकी कीमत जनरल महंगाई से ज्यादा बढ़ गई हो। इसीलिए किसी एसेट से हमें कितना असली मुनाफा हुआ है इसे समझने के लिए बढ़ती महंगाई की दरों को भी ध्यान में रखना होता है।
महंगाई कितनी बढ़ी ये जानने के लिए हमं कॉस्ट इन्फ्लेशन इंडेक्स से समझ सकते हैं। इस इंडेक्स की वैल्यू उसी तरह बढ़ती जाती है जैसे-जैसे महंगाई बढ़ती है। इसी इंडेक्स का यूज करके हम अपने प्रॉपर्टी से होने वाले असली मुनाफे को कैलकुलेट कर सकते हैं।
पहले सरकार ने इजाजत दी थी कि प्रॉपर्टी की मुनाफा कैलकुलेटर करते समय हम कॉस्ट इन्फ्लेशन इंडेक्स का यूज कर सकते हैं। इसकी वजह से हमारा असली मुनाफा काफी कम हो जाता था इसलिए टैक्स भी कम देना पड़ता था।
इसके लिए ये देखा जाता था कि जिस अवधि में अपने प्रॉपर्टी खरीदा और बेचा उस दौरान कॉस्ट इन्फ्लेशन इंडेक्स कितना बढ़ा। जितनी बढ़ोतरी कॉस्ट इन्फ्लेशन इंडेक्स में हुई होती है उतना ही प्रॉपर्टी की परचेज प्राइस को बढ़ा दिया जाता है। और फिर इसी बढ़े हुई रियल कॉस्ट को सेल प्राइस से घटा देते हैं। इससे हमारे पासा रियल मुनाफा आ जाता है। इसी रियल मुनाफे पर पहले 20% कैपिटल गेन्स टैक्स लगता था।
लेकिन अब इस रियल मुनाफे का चक्कर खत्म हो गया है। अब सरकार कह रही है कि उसे महंगाई से मतलब नहीं है। आपको सीधे-सीधे मुनाफा निकालना है और उस पर 12.5% का लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन्स टैक्स देना है।
किसे फायदा, किसे नुकसान
ऊपर कैलकुलेटर में आप चेक कर सकते हैं कि पहले के नियम के हिसाब से कितना लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन्स टैक्स लगता और अब नए नियम के हिसाब से कितना टैक्स लगेगा। नए नियम से नुकसान या फायदा इस बात पर depend करेगा कि आपने प्रॉप्रटी कब खरीदा था और कितना मुनाफा हो रहा है।
दोस्तों हमने अलग टाइम और value लेकर कंपेरिजन किया है। उससे मोटा-मोटा निष्कर्ष ये निकलता है कि अगर महंगाई के मुकाबले आपकी प्रॉपर्टी के rate काफी ज्यादा बढ़ जाता है तो नए रेट से फायदा होगा। लेकिन अगर आपकी प्रॉपर्टी का rate महंगाई के साथ-साथ या उससे कम बढ़ता है तो पुराने rate से फायदा होता।
सेक्शन 54 से लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन्स टैक्स कैसे बचाएं
सरकार ने लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन्स टैक्स को बचाने का एक रास्त दिया है। इस रास्ते पर चलकर आप इस टैक्स को पूरा का पूरा बचा सकते हैं।
अगर आपको लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन्स टैक्स बचाना है तो रहने के लिए एक घर खरीदना होगा। घर खरीदना बड़ा फैसला है लेकिन अगर लाखों के कैपिटल गेन्स टैक्स की बात हो तो ये एक बढ़िया टैक्स सेविंग ऑप्शन है।
इनकम टैक्स एक्ट के सेक्शन 54 के मुताबिक अगर आपको किसी प्रॉपर्टी को बेचकर मुनाफा हुआ है तो आप उस मुनाफे से दूसरी प्रॉपर्टी को खरीदकर लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन्स टैक्स बचा सकते हैं। अगर आप पूरे मुनाफे से नई प्रॉपर्टी खरीद लेते हैं तो फिर आपको कुछ भी टैक्स देने की जरूरत नहीं होगी।
सेक्शन 54 में सिर्फ प्रॉपर्टी के कैपिटल गेन पर टैक्स सेविंग का रास्ता बताया गया था। लेकिन सेक्शन 54F में दूसरे तरह के लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन्स टैक्स को बचाने का रास्ता भी है।
सेक्शन 54F के मुताबिक अगर आपको किसी भी एसेट से लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन हो रहा तो आप कुल सेल वैल्यू से नई रेजिडेंशियल प्रॉपर्टी खरीदकर टैक्स बचा सकते हैं। इस सेक्शन के मुताबिक आप शेयर, गोल्ड या म्यूचुअल फंड के लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन टैक्स को भी बचा सकते हैं।
सेक्शन 54 के तहत मिलने वाले टैक्स सेविंग के इस रास्ते की कुछ शर्तें भी हैं।
- टैक्स बचाने के लिए आपको मुनाफे या सेल वैल्यू को सिर्फ रिहायशी प्रॉपर्टी में ही इन्वेस्ट करना होगा। कॉमर्शियल प्रॉपर्टी या गोल्ड वगैरह में इन्वेस्टमेंट से इस छूट का फायदा नहीं मिलेगा।
- आपके पास पहले से एक से ज्यादा घर नहीं होना चाहिए।
- नई प्रॉपर्टी खरीदने के लिए तीन साल की अवधि मिलती है। एक साल बिक्री से पहले और दो साल बिक्री के बाद। मान लीजिए आपने कोई प्रॉपर्टी 1 सितंबर 2024 को बेची है। तो टैक्स में छूट के लिए नई प्रॉपर्टी 1 सितंबर 2023 से लेकर 1 सितंबर 2026 के बीच खरीदी जानी चाहिए।
- नए घर या प्लॉट की कीमत 10 करोड़ रुपए से ज्यादा नहीं होना चाहिए।
कैपिटल गेन टैक्स बचाने की जबर्दस्त तरकीब
तो सेक्शन 54 के जरिए आप लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन्स टैक्स बचा सकते हैं। लेकिन इसकी वजह से आपको दूसरी प्रॉपर्टी खरीदनी पड़ जाती है। लेकिन अगर आप दूसरी प्रॉपर्टी नहीं चाहते हैं तो भी आपके सामने इस कैपिटल गेन्स टैक्स को घटाने का एक रास्ता है।
इसके लिए आपको प्रॉपर्टी के दो सौदे करने होंगे। पूरी प्रक्रिया थोड़ी पेंचीदा है। लेकिन अगर लाखों का टैक्स बचाना है तो आप इस तरीके को अपना सकते हैं।
तो मान लीजिए आपने 2015 में investment के लिए कोई प्रॉपर्टी 20 लाख रुपए में खरीदी । इस प्रॉपर्टी का price 15% सालाना के औसत से बढ़ रहा है। अब आपको उसे बेचना है। फिलहाल 2024-25 में उस प्रॉपर्टी के लिए आपको ₹70,35,753 मिल रहे हैं। 15% सालाना के हिसाब से कैलकुलेट किया है तो ये value आई है।
तो आपने इसी पैसे पर अपनी प्रॉपर्टी बेच दी। इस रकम में से 20 लाख रुपए तो आपने खुद लगाया था। यानी कैपिटल गेन केवल ₹50,35,753 का हुआ। इस कैपिटल गेन पर टैक्स बनेगा ₹6,29,469 । लेकिन आपको इस पर tax नहीं देना है बल्कि 50.36 लाख रुपए के कैपिटल गेन से दूसरी प्रॉपर्टी ले लीजिए।
बाकी जो 20 लाख बच रहे हैं उसका यूज कर लीजिए। उस पर कोई tax नहीं देना होगा। अब दूसरी प्रॉपर्टी की कीमत भी 15% सालाना के हिसाब से बढ़ने लगेगी। तीन साल बाद इसकी कीमत ₹76,58,750। इसी भाव पर इसे बेच दीजिए। अब इस प्रॉपर्टी पर आपको ₹26,22,998 का कैपिटल गेन हुआ ।
इस कैपिटल गेन पर tax होगा ₹3,27,875। इस तरह से बीस लाख रुपए की प्रॉपर्टी से आपको कुल ₹76,58,750 का कैपिटल गेन हुआ लेकिन आपने tax केवल ₹3 ,27,875 भरा है। अगर इस तरीके को नहीं अपनाते तो कुल ₹9,57,344 का tax भरना होता। यानी आपको करीब साढ़े छे लाख रुपए का फायदा हो गया।
जैसे हमने आपको प्रॉपर्टी पर कैपिटल गेन्स टैक्स बचाने की तरकीब बताई है उसी तरह आप गोल्ड पर भी लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन्स टैक्स को बचा सकते हैं। आपको अगर हमारी ये पोस्ट पसंद आई है तो इसे जरूर शेयर कीजिए और इस वेबसाइट पर आते रहिए।
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