“Dear Customer you are now part of CBDC pilot project”. आपके पास भी ये SMS आया होगा । अगर अभी तक नहीं आया है तो आगे ऐसा ही SMS आ सकता है। धीरे-धीरे सभी बैंक CBDC को प्रोमोट करने लगे हैं। रिजर्व बैंक भी पेमेंट के इस तरीके को आगे बढ़ा रहा है। इसमें नए-नए फीचर जोड़ने की तैयारी है। तो क्या UPI की तरह कोई नया पेमेंट का तरीका आ रहा है। इससे क्या फायदा होगा और क्या इसे भी आपको अपनाना चाहिए। आइए डिजिटल करेंसी यानी e-rupee को अच्छी तरह समझते हैं
1. सीबीडीसी का क्या मतलब है (What is CBDC)
आपने क्रिप्टोकरेंसी या बिटक्वाइन का नाम तो सुना होगा। ये डिजिटल करेंसी होती है और इसके बदले कुछ खास तरह को प्रोडक्ट और सर्विसेज की सुविधा मिल जाती है।
CBDC भी क्रिप्टोकरेंसी से मिलती-जुलती है। इसको देकर भी आप प्रोडक्ट या सर्विस को खऱीद सकते हैं।
CBDC का फुल फॉर्म है सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी (Central Bank Digital Currency)। देश की फिजिकल करेंसी की तरह ये भी एक लीगल टेंडर होता है । हमारे देश का सेंट्रल बैंक यानी रिजर्व बैंक इस करेंसी को जारी करता है। इसकी भी अलग-अलग कीमत होती है और RBI उस कीमत को वापस करने की गारंटी देता है। इसे E-Rupee (e₹) भी कहा जाता है।
रिजर्व बैंक की डिजिटल करेंसी E-Rupee का बिल्कुल वैसे ही यूज कर सकते हैं जैसे नोट का यूज करते हैं। मतलब सामान या सर्विस को खरीदने के लिए नोट की जगह आप ई-रुपी को भी दे सकते हैं।
2. डिजिटल करेंसी और फिजिकल करेंसी में समानता और फर्क (CBDC Vs Physical Currency)
फिजिकल करेंसी (Phyiscal currency) | डिजिटल करेंसी (CBDC) |
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कोई भी सामान या सर्विस खरीद सकते हैं | कोई भी सामान या सर्विस खरीद सकते हैं |
रिजर्व बैंक जारी करता है | इसे भी रिजर्व बैंक जारी करता है |
RBI की गारंटी | RBI की गारंटी |
तय वैल्यू के नोट या सिक्के होते हैं | इसमें भी तय वैल्यू की करेंसी होती है |
हर नोट का यूनीक सीरियल नंबर होता है | हर डिजिटल करेंसी का भी यूनिक सीरियल नंबर होता है |
किसी तीसरे पक्ष को पेमेंट की खबर नहीं होती | लेने-देने वाले को छोड़कर किसी और को पेमेंट का पता नहीं चलता है |
बैंक या ATM से नोट मिलते हैं | बैंक के जरिए दिया जाता है |
इसे आप जेब या वॉलेट में रखते हैं | इसके लिए डिजिटल वॉलेट की जरूरत होती है |
किसी को भी ट्रांसफर कर सकते हैं | जिसके पास डिजिटल करेंसी का वॉलेट होगा उसे ही ट्रांसफर कर सकते हैं |
कटने-फटने या खो जाने की संभावना | किसी तरह का नुकसान नहीं होता है |
नकली नोट की संभावना | नकली CBDC की संभावना कम |
3. रिजर्व बैंक का पायलट प्रोजेक्ट (RBI Pilor Project)
क्रिप्टोकरेंसी और बिटक्वाइन की पापुलरिटी के बाद रिजर्व बैंक को खुद अपनी डिजिटल करेंसी लाने की जरूरत महसूस हुई। फटाफट रिसर्च किया गया और ई-रूपी तैयार हो गया । चूंकि अभी इस तरह की करेंसी बिल्कुल नई पहल है इसलिए रिजर्व बैंक इस पर संभल-संभल कर कदम बढ़ा रहा है।
रिजर्व बैंक कुछ बैंकों के जरिए CBDC का पायलट प्रोजेक्ट चला रही है। यानी चुनिंदा लोग ही इस करेसी का यूज करेंगे। उनके अनुभव को देखते हुए रिजर्व बैंक टेस्ट कर रहा है कि डिजिटल करेंसी का सिस्टम सही से काम कर रहा है या नहीं। इसके साथ ही फ्रॉड के खतरे को भी परखा जा रहा है।
रिजर्व बैंक ने पहले इसका पायलट प्रोजेक्ट एक बहुत ही छोटे ग्रुप केसाथ चलाया था। लेकिन अब इसमें हजारों लोगों को शामिल किया गया है। पहले इसका दायरा भी छोटा था। लेकिन अब ये देश के सभी हिस्सों में टेस्ट किया जा रहा है।
पहले सिर्फ 4 बैंक इस पायलट प्रोजेक्ट में शामिल थे लेकिन अब 13 बैंकों के जरिए इस सिस्टम को टेस्ट किया जा रहा है।
केनरा बैंक भी रिजर्व बैंक के CBDC पायलट प्रोजेक्ट का हिस्सा है। और इसी के तहत केनरा बैंक अपने ग्राहकों को डिजिटल करेंसी यूज करने के लिए प्रेरित कर रहा है। जब लोग इस करेंसी का यूज करेंगे तभी इसकी कमियां और सुधार का पता चलेगा।
4. डिजिटल करेंसी के नए फीचर
फिलहाल डिजिटल करेंसी e-₹ के जरिए आप मर्चेंट को आसानी से पेमेंट कर सकते हैं। इसके अलावा किसी दूसरे आदमी के पास भी e-Rupee भेज सकते हैं। आने वाले दिनों में इस डिजिटल करेंसी के साथ कुछ और फीचर जुड़ने वाले हैं।
- डिजिटल करेंसी की प्रोग्रामिंग – इस फीचर के आप तय कर सकते हैं कि आपके दिए हुए e-Rupee का कहां इस्तेमाल हो। जैसे मान लीजिए अगर आप किसी आदमी की पढ़ाई में मदद करना चाहते हैं तो आप ई-रुपी की प्रोग्रामिंग कुछ इस तरह से कर सकेंगे कि आपके दिए हुए रुपए का यूज केवल किताब-कापी खरीदने में ही हो। सरकार फूड सब्सिडी, फर्टिलाइजर सब्सिडी के भी इसी तरह programmable digital currency के जरिए दे सकती है।
- ऑफलाइन ट्रांजैक्शन – रिजर्व बैंक ने कुछ दिन पहले ये भी बताया था कि CBDC का ऑफलाइन लेनदेन भी हो सकेगा। अभी इसके लिए ट्रायल चल रहा है। अगर ऐसा होता है तो उन लोगों के लिए बड़ी सुविधा हो जाएगा जो ऐसे इलाके में रहते हैं जहां मोबाइल नेटवर्क ठीक नहीं होता है। इसके अलावा अगर आपके फोन में डेटा नहीं है तो भी आप पेमेंट कर सकेंगे।
5. CBDC से लोगों को क्या फायदा होगा (Benefits of e-Rupee)
अब सवाल उठता है कि CBDC यानी सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी से जनता को क्या फायदा होगा। क्योंकि पहली नजर में CBDC से ऐसा कुछ अलग नहीं मिलता है। पेमेंट का सारा काम यूपीआई से अच्छी तरह से हो जाता है। लेकिन अगर इस सिस्टम को अच्छी तरह समझेंगे तो पाएंगे कि CBDC कुछ सिचुएशन में बड़े काम की चीज है।
i. प्राइवेसी
ई-रूपी का सबसे बड़ा फायदा ये है कि जब आप इससे के जरिए कुछ खरीदेंगे तो किसी और को इसकी कोई खबर नहीं होगी। अभी हम यूपीआई से जो भी पेमेंट करते हैं उसका रिकॉर्ड बैंक के पास भी रहता है। लेकिन CBDC के मामले में किसी और पार्टी को ये पता नहीं चलेगा का ई-रूपी कहां खर्च किया गया है।
ये बिल्कुल उसी तरह है जैसे कैश रुपए में होता है। हालांकि जैसे 50 हजार रुपए या उससे ऊपर कैश पेमेंट करने पर पैन नंबर देना होता है उसी तरह 50 हजार रुपए या उससे ऊपर ई-रुपी का पेमेंट करने पर पैन नंबर देना होगा।
ii. डिफॉल्ट रिस्क नहीं
CBDC के रूप में आपके पास जो पैसा होगा वो कभी डूबेगा नहीं। बैंक में जमा पैसा बैंक के दिवालिया होने पर डूब सकता है। लेकिन ई-रूपी आपके पास बिल्कुल वैसे ही रहेगा जैसे अभी कैश रहता है। बैंक के डूबने के बावजूद आपका ई-रूपी काम करता रहेगा।
iii. नकली करेंसी नहीं
ई-रुपी में नकली नोट का धोखा नहीं होगा। डिजिटल करेंसी का पूरा सिस्टम अधिकृत बैंक और रिजर्व बैंक के हाथ में होगा ऐसे में नकली करेंसी का डर नहीं होगा।
iv. कटने-फटने या खोने का डर नहीं
जब हम फिजिकल करेंसी यानी नोट से लेन-देन करते हैं तो कई बार कटे-फटे नोटों की समस्या खड़ी हो जाती है। लेकिन e-Rupee के मामले में ऐसा नहीं होगा
जेब में रखे कैश के चोरी होने या खो जाने का डर बना रहता है। लेकिन डिजिटल वॉलेट में रखे ई-रूपी के साथ ऐसा कुछ नहीं हो पाएगा।
v. बैंक अकाउंट से वास्ता नहीं
CBDC के जरिए आप अपने बैंक अकाउंट को अलग रख सकते हैं। यानी रेगुलर लेन-देन से बैंक अकाउंट का वास्ता नहीं रहेगा। ऐसा लेन-देन सीधे डिजिटल करेंसी के वॉलेट से होगा। इस तरह आपका बैंक अकाउंट ज्यादा सुरक्षित हो जाएगा।
vi. इंटरनेशनल ट्रांजैक्शन
फ्यूचर में CBDC के जरिए इंटरनेशनल ट्रांजैक्शन आसानी से और बहुत कम फीस में हो जाएगा। विदेश से भारत में पैसा भेजने पर भी खर्च बहुत कम हो जाएगा। फिलहाल ये सर्विस अभी शुरू नहीं हुई है।
vii. पर्यावरण को फायदा
नोट को छापने में ढेर सारा कागज खर्च होता है। ये कागज लाखों पेड़ों का काटकर तैयार किए जाते हैं। डिजिटल करेंसी के आने से पेड़ कटने से बच जाएंगे।
6. CBDC से सरकार और रिजर्व बैंक को क्या फायदा होगा
ऊपर हमने आपको बताया कि डिजिटल करेंसी से आम आदमी को क्या फायदा होगा। अब हम आपको बताते हैं कि इससे सरकार और रिजर्व बैंक को किस तरह से फायदा होगा।
i. कैशलेस पेमेंट को बढ़ावा
CBDC के आने से वो लोग भी कैशलेस पेमेंट करने लगेंगे जो अभी किसी डर की वजह से यूपीआई या ऑनलाइन पेमेंट करने से बचते हैं।
ii. प्रिंटिंग का खर्च घटेगा
डिजिटल करेंसी का चलन बढ़ेगा तो रुपया प्रिंट करने का खर्च कम हो जाएगा। अभी 100 रुपए की एक नोट प्रिंट करने बैंक तक पहुंचाने और गली हुई नोट को वापस लेने में करीब 15-16 रुपए का खर्च आ जाता है।
iii. क्रिप्टोकरेंसी की जरूरत पूरी करेगा
अभी कुछ खास किस्म के पेमेंट के लिए प्राइवेट क्रिप्टोकरेंसी का यूज होता है। इस क्रिप्टोकरेंसी पर सरकार या रिजर्व बैंक कोई वश नहीं होता है। ऐसे में अगर इनका चलन बढ़ गया तो कालाबाजारी पर रोक नहीं लग पाएगी। इसके अलावा रिजर्व बैंक के लिए इकोनॉमी को मैनेज करना भी मुश्किल हो जाएगा। ऐसे में अगर RBI की अपनी डिजिटल करेंसी होगी तो वो इकोनॉमी को असानी से मैनेज कर सकेगी।
7. डिजिटल करेंसी के सामने मुश्किल (Challenges Before Digital Currency)
डिजिटल करेंसी से सबकुछ आसान हो जाएगा ऐसा भी नहीं है। कुछ ऐसी चुनौतियां भी सामने हैं जिससे निपटना होगा।
i. ब्याज नहीं मिलेगा (No Interest)
जब हम बैंक अकाउंट में अपना पैसा रखते हैं तो कुछ ना कुछ ब्याज मिलता है। लेकिन अगर अपने पैसे को हम करेंसी के तौर पर रखेंगे तो फिर हमें उस पर कोई ब्याज नहीं मिलेगा। फिजिकल और डिजिटल करेंसी दोनों के मामले में ऐसा ही होता है।
ii. फ्रॉड का डर (Fraud Risk)
अभी डिजिटल करेंसी का पायलट प्रोजेक्ट चल रहा है। लेकिन आगे चलकर पता चलेगा कि क्या इससे भी कुछ फ्रॉड हो सकता है या नहीं। क्योंकि यूपीआई का सिस्टम आसान तो बहुत है लेकिन उसके जरिए कई तरह के फ्रॉड भी होते हैं। इसलिए डिजिटल करेंसी के मामले में भी सावधान रहने की जरूरत है।
iii. बहुत से लोगों को जरूरत नहीं (No Pressing Need)
फिलहाल जिन लोगों को अपना पेमेंट छुपाने की जरूरत नहीं है उनके लिए सीधे बैंक से पेमेंट करना बहुत आसान है। यूपीआई के जरिए तुरंत पेमेंट हो जाता है। ऐसे में कोई क्यों CBDC का अलग से वॉलेट बनाएगा उसमें पैसे डालेगा और फिर पेमेंट करेगा।
iv. डिजिटल वॉलेट जरूरी (Digital Wallet Required)
अभी अगर किसी को ई-रुपी भेजना हो तो उसके पास भी CBDC का वॉलेट होना जरूरी है। इस जरूरत की वजह से आप पाएंगे कि अक्सर डिजिटल करेंसी से आप पैसे ट्रांसफर नहीं कर पाते हैं।
ई-रूपी का कैसे यूज कर सकते हैं (How to Use e-Rupee)
ई-रुपी का यूज करने के लिए आपको शुरू में कुछ खास कदम उठाने पड़ेंगे।
i. CBDC वॉलेट सर्विस देने वाले बैंक में अकाउंट (bank Account in Participating Bank)
फिलहाल डिजिटल करेंसी का यूज करने के लिए बैंक में अकाउंट होना जरूरी है। क्योंकि ये डिजिटल करेंसी बैंक के जरिए ही दिए जाते हैं। जैसे फिजिकल करेंसी बैंक के जरिए मिलते हैं उसी तरह डिजिटल करेंसी भी बैंक के जरिए ही मिलेगा।
लेकिन अभी सभी बैंक CBDC नहीं देते हैं। चूंकि अभी पायलट प्रोजेक्ट चल रहा है इसलिए कुछ चुनिंदा बैंक ही CBDC की फैसेलिटी दे रहे हैं।
अगर आपको CBDC फीचर का यूज करना है तो आपका बैंक अकाउंट ऐसे ही किसी बैंक में होना चाहिए। नीचे हमने इन बैंक की लिस्ट दी है।
CBDC देने वाले बैंक
- Axis Bank
- Bank of Baroda
- Canara Bank
- Federal Bank
- HDFC Bank
- IDFC First Bank
- ICICI Bank
- IndusInd Bank
- Kotak Mahindra Bank
- Punjab National Bank
- State Bank of India
- Union Bank of India
- Yes Bank
ii. CBDC वॉलेट का रजिस्ट्रेशन (Registration of Digital Wallet)
- CBDC पायलट प्रोजेक्ट में शामिल सभी बैंक डिजिटल करेंसी के लिए CBDC वॉलेट की सर्विस भी देते हैं। इन सभी बैंकों को CBDC वॉलेट आपको एप स्टोर में मिल जाएंगे।
- अगर इन बैंकों में आपका पहले से अकाउंट है और आपके पास CBDC पायलट प्रोजेक्ट में शामिल होने का मैसेज आया है तो उसके साथ ही वॉलेट का लिंक भी आया होगा। उस लिंक के जरिए आप वॉलेट को डाउनलोड करके रजिस्ट्रेशन करा सकते हैं।
- CBDC वॉलेट में रजिस्ट्रेशन ऑनलाइन हो जाता है। लेकिन इसके लिए आपको अपने पैन की कॉपी अपलोड करनी होती है। इसके लिए आधार ओटीपी के जरिए भी वेरिफिकेशन होता है। इस तरह लिमिटेड KYC के बाद ही वॉलेट में रजिस्ट्रेशन होता है।
iii. बैंक अकाउंट से पैसे का ट्रांसफर (Money Transfer Into Wallet)
जब एक बार आप अपने स्मार्टफोन में वॉलेट का डाउनलोड करके रजिस्ट्रेशन कर लेंगे। तो उसके बाद आप आसानी से CBDC (e-₹) पेमेंट को शुरू कर सकते हैं।
लेकिन e-Rupee का पेमेंट करने से पहले आपके वॉलेट में ई-रुपी होना भी तो चाहिए। इसके लिए आपको अपने अकाउंट से पैसे कटवाना होगा। अकाउंट से जितने पैसे घटेंगे उतने e-Rupee आपके वॉलेट में आ जाएंगे।
वॉलेट में डिजिटल करेंसी डालने को टॉप-अप या एड CBDC कहा जाएगा। आप यूपीआई पिन डालकर भी ई-रुपी अपने वॉलेट में जमा कर सकते हैं।
iv. वॉलेट से पेमेंट (payment from Wallet)
- CBDC वॉलेट से ऑनलाइन पेमेंट उसी तरह हो जाता है जैसे बैंक अकाउंट से पेमेंट होता है। एक बैंक अकाउंट से दूसरे बैंक अकाउंट में पैसे का पेमेंट करने के लिए कई तरीके हैं जैसे UPI, NEFT, IMPS वगैरह।
- इसी तरह ई-रुपी का ट्रांसफर भी एक वॉलेट से दूसरे वॉलेट में आसानी से हो जाता है। या फिर जब आप मर्चेंट को ई-रुपी का पेमेंट करते हैं तो ये उसके बैंक अकाउंट में भी पहुंच जाता है। मर्चेंट के मामले में ई-रुपी एक बार फिर से कन्वर्ट होकर बैंक बैलेंस बन जाता है।
- ई-रुपी का ट्रांसफर भी NPCI ही मैनेज करती है और इसके लिए भी यूपीआई जैसा सिस्टम ही यूज किया जाता है। हालांकि फिलहाल इसे कोई नाम नहीं दिया गया है।
- किसी दुकान में पेमेंट करने के लिए आपको अपने CBDC वॉलेट में ही स्कैनर मिल जाएगा । उसी से स्कैन करके आप तुरंत पेमेंट कर सकते हैं। यहां से पेमेंट करने के लिए भी आपको पिन डालना होगा। ये पिन CBDC वॉलेट का अपना पिन होगा। ये यूपीआई पिन से अलग होता है।
- अगर किसी ऐसे शख्स के पास ई-रुपी भेजना है जिसके पास भी CBDC वॉलेट है तो आप उसका मोबाइल नंबर डालकर तुरंत E-rupee भेज सकते हैं।
CBDC – e₹ की लिमिट्स (Limits of RBI Digital Currency)
e-Rupee को आप कभी भी इस्तेमाल कर सकते हैं। ये साल के 365 दिन, हफ्ते में 7 दिन और दिन के 24 घंटे काम करता है। लेकिन CBDC वॉलेट पर अभी कुछ लिमिट्स रखी गई हैं। फिलहाल हर बैंक अपने हिसाब से लिमिट सेट कर सकता है। हम यहां स्टेट बैंक की लिमिट्स दे रहे हैं। ज्यादातर दूसरे बैंकों की लिमिट भी ऐसी ही है।
Particulars | Limit |
---|---|
डिजिटल वॉलेट की क्षमता (Holding Capacity) | ₹1,00,000 |
वॉलेट में एक दिन में अधिकतम जमा / निकासी (Per day Load / Unload ) | ₹25,000 |
एक दिन में कितने बार पेमेंट कर सकते हैं ( Per day Outward Transfer ) | 20 |
एक दिन में कितने बार पेमेंट ले सकते हैं ( Per day inward Transfer ) | 20 |
एक दिन में कुल ट्रांजैक्शन (Number of Transactions per day) | 20 |
अधिकतम पेमेंट करने की लिमिट (Maximum Payment limit) | ₹10,000 |
अधिकतम पेमेंट लेने की लिमिट (Maximum Limit to receive) | ₹10,000 |
ई-रुपी से जुड़े सवाल (e-Rupee FAQ)
CBDC या डिजिटल रूपी या e₹ एक तरह का कानूनी टेंडर हो जो करेंसी नोट की तरह काम करता है। बस ये फिजिकल के बजाय डिजिटल फॉर्म में होता है। फिजिकल कैश की तरह ये भरोसमंद और सुरक्षित होता है। और उसी की तरह इसका सेटलमेंट तुरंत हो जाता है। फिलहाल डिजिटल रुपी को रखने के लिए डिजिटल वॉलेट की जरूरत होती है।
इसको लेकर मुगालते में नहीं रहना चाहिए। रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने खुद कहा है कि डिजिटल करेंसी पेमेंट के बाकी तरीके साथ चलेगा उनको हटाकर नहीं चलेगा। मतलब इसकी वजह से कैश या कार्ड का इस्तेमाल कम हो जाएगा। खत्म नहीं होगा।
जैसे फिजिकल कैश या कार्ड रखने के लिए वॉलेट या जेब की जरूरत होती है। उसी तरह डिजिटल करेंसी के लिए डिजिटल वॉलेट की जरूरत होती है। वॉलेट को पार्टिसिपेटिंग बैंक जारी करते हैं। इसके पहले वो KYC करते हैं। डिजिटल रुपी के वॉलेट को आपके सेविंग या करेंट अकाउंट से लिंक भी किया जाता है।
ई-रुपी फिजिकल कैश का डिजिटल फॉर्म है। जबकि यूपीआई और नेफ्ट वगैरह बैंक बेलेंस को ट्रांसफर करने के तरीके हैं। गूगल पे, फोनपे, पेटीएम जैसे ऐप सिर्फ यूपीआई ट्रांसफर मैकेनिज्म को यूज करने के लिए जरूरी एप हैं।
ई-रुपी की अपनी वैल्यू होती है। जबकि यूपीआई सिर्फ इस वैल्यू को एक अकाउंट से दूसरे अकाउंट तक ट्रांसफर करने का तरीका है।
यूपीआई, NEFT, RTGS में मनी ट्रांसफर एक बैंक अकाउंट से दूसरे बैंक अकाउंट के बीच होता है। इस ट्रांसफर में बैंकों की भी भूमिका होती है।
लेकिन e₹ के ट्रांसफर के लिए बैंकों की जरूरत नहीं होती है। यहां पर ट्रांसफर एक डिजिटल वॉलेट से दूसरे वॉलेट में हो जाता है। यानी बैंक का सर्वर डाउन रहेगा तो भी ई-रुपी का ट्रांसफर हो जाएगा।
नहीं, ई-रुपी क्रिप्टोकरेंसी की टेक्नोलॉजी पर बना है और उसकी तरह इसका यूज हो सकता है। लेकिन ये क्रिप्टोकरेंसी नहीं है। क्रिप्टोकरेंसी में कोई गारंटी नहीं होती है। जबकि ई-रुपी में रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया की गारंटी होती है और इसकी वैल्यू हमेशा वही रहेगी जो इस पर लिखी होगी। ये उसी तरह भरोसेमंद होता है जैसे 100, 500 की नोट।
कोई भी इसका यूज कर सकता है। बस उसके पास बैंक अकाउंट होना चाहिए। और KYC की औपचारिकता पूरी करके डिजिटल वॉलेट बनवाना होगा।
बिल्कुल आप बड़ी आसानी से डिजिटल वॉलेट को ऑनलाइन बनवा सकते हैं। आधार और पैन का यूज करके तुरंत लिमिटेड KYC भी हो जाएगा। अगर वॉलेट में ज्यादा अमाउंट रखना चाहते हैं तो फिर फुल KYC कराना होगा और उसके लिए बैंक के ब्रांच में जाना होगा।
इसके लिए आपके डिजिटल वॉलेट में स्कैन का आइकन दिखेगा। उस पर टैप करने से कैमरा खुल जाएगा। उससे आप दुकानदार का QR कोड स्कैन कर लीजिए। फिर उसी तरह पेमेंट कर दीजिए जैसे यूपीआई से होता है। आखिर में आपको डिजिटल वॉलेट का पिन डालना होगा। (UPI पिन नहीं)
डिजिटल रुपी के वॉलेट में आपको मनी लोड करने का ऑप्शन दिखेगा। उसके जरिए आप किसी भी बैंक अकाउंट से यहां पैसे ट्रांसफर कर सकते हैं। यहां आपका वो पैसा ई-रुपी में कन्वर्ट हो जाएगा।
जी हां, डिजिटल वॉलेट में रिडीम करने का ऑप्शन भी होता है। इसके जरिए आप अपने ई-रूपी को फिर से बैंक बैलेंस में बदल सकते हैं
रिजर्व बैंक ने ई-रुपी की पूरी तरह से सुरक्षित बनाने की कोशिश की है। और सुरक्षा को देखते हुए ही इस मामले में वो फूंक-फूंक कर कदम रख रहा है।
आप एक बैंक के जरिए केवल एक ही डिजिटल वॉलेट बना सकते हैं। वो भी तभी बना पाएंगे जब उस बैंक में सेविंग या करेंट अकाउंट होगा। अगर आपके की बैंक में अकाउंट हैं तो हर बैंक में डिजिटल वॉलेट बना सकते हैं।
जी नहीं, आप जीरो बैलेंस पर भी डिजिटल वॉलेट को कायम रख सकते हैं
अभी ऐसा संभव नहीं है। ई-रुपी फिलहाल भारत के अंदर ही काम करेगा। लेकिन भविष्य में आप ई-रुपी के दूसरी करेंसी में कन्वर्ट कर सकेंगे।
जी हां, डिजिटल वॉलेट्स के बीच बड़ी आसानी से पैसा ट्रांसफर हो जाता है
References
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