एडवांस टेक्नोलॉजी की वजह से अब इनकम छिपाना मुश्किल हो गया है। इसी तरह से अब इनकम टैक्स रिटर्न से भी बचना मुश्किल हो गया है। ऐसे में देर करना अच्छा नहीं है। क्योंकि अगर इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करने में देरी हुई तो आपके ऊपर और बोझ आ जाएगा।
दोस्तों, इस लेख में हम जानेंगे कि देरी से इनकम टैक्स रिटर्न (belated return) भरने पर, जुर्माना कितना लगता है? What is the Penalty for late return Filing? सबसे पहले यह जानते हैं कि इनकम टैक्स रिटर्न भरने की अंतिम तारीख (last date) क्या होती है?
ITR की डेडलाइन
इनकम टैक्स रिटर्न फाइलिंग के लिए तीन तरह की डेडलाइन फिक्स की गई है। सबसे ज्यादा वक्त उन्हे दिया जाता है जिनके हिसाब-किताब में झमेला ज्यादा है।
करदाता की श्रेणी (Category of Tax Payer) | असेसमेंट ईयर में रिटर्न भरने की तारीख (Last date to file return) |
सामान्य करदाता (जिनकी ऑडिट रिपोर्ट लगानी अनिवार्य नहीं है) | 31 जुलाई |
कंपनियां और ऐसे कारोबारी, जिनकी ऑडिट रिपोर्ट अनिवार्य है | 31 अक्टूबर |
कंपनियां और ऐसे कारोबारी, जिनकी “transfer pricing रिपोर्ट अनिवार्य है | 30 नवंबर |
इनकम टैक्स रिटर्न में देरी पर जुर्माना कितना लगता है? Penalty for late Return Filing?
अगर, आप ऊपर बताई गई तारीखों के अनुसार, समय से अपना इनकम टैक्स रिटर्न दाखिल नहीं कर पाते हैं तो फिर आप 31 दिसंबर तक विलंबित रिटर्न (belated Return) दाखिल कर सकते हैं। लेकिन, इस विलंबित रिटर्न के साथ आपको Penalty या जुर्माना चुकाना पड़ता है। यह जुर्माना आपकी सालाना आमदनी के हिसाब से अलग-अलग होता है। इसकी जानकारी हम नीचे दे रहे हैं-
लेट रिटर्न पर पेनाल्टी | टैक्सपेयर की कैटेगरी |
1000 रुपए | जिनकी सालाना आमदनी 5 लाख रुपए से कम है |
5000 रुपए | जिनकी आमदनी सालाना 5 लाख रुपए से अधिक है |
देरी से रिटर्न भरने पर अन्य नुकसान | Other Disadvatages on late Return filing
अगर आप पर इनकम टैक्स भरते हैं तो जो ऊपर जो हमने रिटर्न भरने में देरी पर पेनाल्टी की चर्चा की, उनके अलावा भी कुछ नुकसान आपको हो सकते हैं। ये नुकसान इस प्रकार हैं-
बाद में टैक्स पर ब्याज जोड़कर चुकाना होगा
ये तो आपको पता ही होगा कि इनकम टैक्स रिटर्न भरने से पहले अपनी पूरी टैक्स देनदारी सेटल करनी होती है। क्योंकि अगर कोई टैक्स बकाया होगा तो इनकम टैक्स रिटर्न सबमिट ही नहीं होगा।
अक्सर लोगों को इनकम टैक्स रिटर्न भरने के साथ कुछ ना कुछ टैक्स भी भरना पड़ता है। लेकिन अगर टैक्स रिटर्न भरने में देरी होती है तो फिर हो सकता है कि इस बकाया टैक्स पेमेंट में भी देरी हो जाए। अगर ऐसा हुआ तो फिर ब्याज भी भरना होता है।
देरी से टैक्स चुकाने पर 1% प्रतिमाह के हिसाब से ब्याज भी जोड़कर चुकाना पड़ता है।
आमदनी में नुकसान का समायोजन नहीं कर सकते
जब हम मुनाफा कमाते हैं तो सरकार टैक्स के तौर पर अपना हिस्सा ले लेती है। लेकिन जब हमें घाटा होता है तो कोई पैसा नहीं लौटाता है। वो घाटा हमें अकेले ही सहना पड़ता है।
लेकिन सरकार इस मामले में थोड़ा रहम दिखाती है। सरकार कहती है कि भई, आप इस घाटे को हिसाब में लिख लो। आगे जब आपको मुनाफा होगा तो उसमें से इस घाटे को घटा देना।
यानी घाटा होने पर सरकार आपको कोई आर्थिक सहायता तो नहीं करती है लेकिन आगे टैक्स देनदारी कम करने का वादा करती है। मतलब आप अपने घाटे को आगे एडजस्ट करते हैं। इस टैक्स की भाषा में carry forward of loss कहते हैं।
इस नियम से बिजनेसमैन को बहुत बड़ी राहत मिलती है। क्योंकि बिजनेस में प्रॉफिट-लॉस तो लगा ही रहता है।
लेकिन हम इसका जिक्र क्यों कर रहे हैं? दरअसल दोस्तों अगर आप टाइम पर इनकम टैक्स रिटर्न नहीं भरते हैं तो इतनी बड़ी राहत छू-मंतर हो जाएगी । इसलिए कैरी फॉरवर्ड ऑफ लॉस से जुड़े इन नियमों को अच्छी तरह समझ लेना चाहिए।
- नियम के हिसाब से जिस साल आपको नुकसान हुआ है, उस साल भी रिटर्न दाखिल होना चाहिए
- जिस साल आप उस नुकसान का समायोजन करना चाहते हैं, उस साल भी आपका रिटर्न दाखिल किया जाना चाहिए।
- अगर आप समय पर रिटर्न दाखिल नहीं करते हैं तो फिर इस सुविधा का लाभ आपको नहीं मिल सकता।
इनकम टैक्स विभाग आपको नोटिस भेज सकता है
इनकम टैक्स रिटर्न नहीं भरेंगे तो टैक्स डिपार्टमेंट के चक्कर में भी पड़ सकते हैं। क्योंकि सरकार इतनी आसनी से अपने टैक्सपेयर को बख्शती नहीं है। आपके पास नोटिस आएंगे और फिर उसका जवाब देना इतना आसान नहीं होगा। इतना ही नहीं अगर नोटिस में आपने समुचित जवाब नहीं दिया तो फिर कानूनी कार्रवाई भी हो सकती है।
इनकम टैक्स डिपार्टमेंट नोटिस भेजता है अगर –
- आपकी इनकम पर टैक्स बनता है
- आपने टैक्स का पेमेंट नहीं किया है
- इनकम टैक्स रिटर्न टाइम पर नहीं भरा है
वीजा मिलने में समस्या आ सकती है
कई उन्नत देशों के दूतावास, अपने यहां आने के लिए वीजा आवेदन करने वालों से उनके पिछले वर्षों के इनकम टैक्स रिटर्न भी मांगते हैं। हालांकि, कई देशों के लिए यह अनिवार्य नहीं भी है। लेकिन वीजा आवेदन के साथ रिटर्न की कॉपी लगाने पर वीजा को मंजूरी मिलने की प्रक्रिया तेज और आसान हो जाती है।
बैंक लोन मिलने में समस्या आ सकती है
जिन लोगों की सैलरी नहीं मिलती है, उन्हें क्रेडिट कार्ड या लोन के लिए आवेदन करने पर बैंक, पिछले दो या तीन वर्षों के इनकम टैक्स रिटर्न की कॉपी मांगते हैं। क्योंकि ये आपकी आमदनी और टैक्स चुकाने के मजबूत प्रमाण होता है।
अगर आप समय पर रिटर्न दाखिल करते हैं तो आपका फाइनेंशियल रिकॉर्ड अच्छा बना रहता है। इससे आपको बैंक लोन मिलने में आसानी रहती है। अगर आप ऐसा नहीं करते हैं तो बैंक लोन प्राप्त करने में मुश्किल हो सकती है।
Leave a Reply