ये कैलकुलेटर स्टेट बैंक फिक्स्ड डिपॉजिट (SBI FD) के मैच्योरिटी अमाउंट को बताता है। आप 1 साल. 2 साल, 3 साल, 5 साल, 10 साल या किसी भी अवधि के लिए मैच्योरिटी अमाउंट (maturity amount) पता कर सकते हैं। आप दूसरे बैंकों के फिक्स्ड डिपॉजिट के लिए भी इस कैलकुलेटर का यूज कर सकते हैं। स्टेट बैंक में fixed deposit को Term Deposits भी कहा जाता है।
कैलकुलेटर यूज करने का सही तरीका (How to use FD Calculator)
इस कैलकुलेटर में फिक्स्ड डिपॉजिट का मैच्योरिटी अमाउंट जानने के लिए आपको तीन बातें बतानी होंगी।
- डिपॉजिट अमाउंट (Principal Amount)- वो रकम जो आप जमा करने वाले हैं या जमा कर चुके हैं
- अवधि (Tenure) – जितने समय के लिए आप पैसा जमा करने वाले हैं या जमा कर चुके हैं। इसमें आप साल, महीने और दिन के हिसाब से अवधि बता सकते हैं। आजकल बैंक कुछ निश्चित दिनों के लिए ज्यादा ब्याज देते हैं जैसे 444 दिन, 777 दिन वगैरह। तो आप इस कैलकुलेटर में सीधे उतने दिन भी भर सकते हैं.
- ब्याज दर (Interest Rate)- आपने जो अवधि चुनी है उस अवधि के लिए स्टेट बैंक फिक्स्ड डिपॉजिट पर इन्ट्रेस्ट किस रेट से दे रहा है
इन तीन जानकारी देने के बाद कैलकुलेटर तुरंत आपका मैच्योरिटी अमाउंट बता देगा।
मैच्योरिटी वैल्यू कितनी सटीक है (Accuracy of Maturity Value)
दोस्तों इस बात का ख्याल रखिएगा कि हम जो अमाउंट बता रहे हैं ये सांकेतिक है। बैंक आपको जो असल में अमाउंट देगा उसमें थोड़ा अंतर हो सकता है। दरअसल अलग-अलग बैंक एफडी कैलकुलेशन के लिए अलग अलग तरीके अपनाते हैं। इसलिए आप देखेंगे कि अलग-अलग बैंकों की मैच्योरिटी वैल्यू अलग-अलग है। हमारा ये कैलकुलेटर एसबीआई (state bank of India) के हिसाब से बना है और इसकी वैल्यू SBI के FD के आसपास ही रहेगी।
मैच्योरिटी वैल्यू में ये अंतर तीन वजहों से आता है
- कुछ बैंक साल में 365 दिन लेते हैं तो कुछ 365.25 दिन का यूज करते हैं
- कुछ बैंक एक महीने के लिए 30.42 दिन मानते हैं तो कुछ 30.44 दिन
- कुछ बैंक आखिरी दिन का भी ब्याज जोड़ते हैं जबकि कुछ आखिरी दिन का ब्याज नहीं जोड़ते हैं।
SBI में फिक्स्ड डिपॉजिट के नियम (SBI FD Rules 2024)
1. अकाउंट कैसे खुलवाएं (How to Open SBI FD)
स्टेट बैंक में फिक्स्ड डिपॉजिट खुलवाना बहुत आसान है। इसके लिए बैंक में सेविंग अकाउंट होना जरूरी नहीं है। यहां कोई भी आदमी एफडी अकाउंट खुलवा सकता है। बस इतना होगा कि अगर आपका वहां पहले से अकाउंट नहीं है तो नए अकाउंट की सभी औपचारिकताएं पूरी करनी होंगी। जैसे अपनी पहचान और पते का सबूत देना होगा। फोटो लगेगी। KYC फॉर्म भरना होगा।
लेकिन अगर आपका बैंक में पहले से खाता है तो फिर अलग से कोई कागजात नहीं जमा करना होगा। बस एक छोटा सा फॉर्म भरना होगा। अगर आप ऑनलाइन बैंकिंग का यूज करते हैं तो फिर आपके लिए और आसानी हो जाएगी। आप नेटबैंकिंग या फिर मोबाइल बैंकिंग के जरिए एफडी करा सकते हैं। SBI के YONO एप में भी ये सुविधा मिलती है।
2. SBI में कितने वक्त के लिए एफडी कर सकते हैं (Tenures of SBI FD)
SBI में फिक्स्ड डिपॉजिट की मियाद चुनने में बड़ी आजादी है। आप कितने भी साल महीने और दिन के लिए एफडी में पैसा जमा कर सकते हैं। आपको अगर फ्यूचर में किसी खास दिन पैसा चाहिए तो आप उस दिन तक के लिए भी एफडी कर सकते हैं। पोस्ट ऑफिस की तरह यहां सिर्फ चार मियाद नहीं है।
बस आपको इस बात का ख्याल रखना है कि एफडी के लिए मिनमम ड्यूरेशन एक हफ्ता होती है। जबकि मैक्सिमस ड्यूरेशन दस साल के लिए होती है। आपको इन्ही के बीच मे अपनी अवधि चुननी होगी। वैसे अगर आप इससे भी ज्यादा वक्त के लिए पैसा जमा करना चाहते हैं और फिक्स्ड गारंटीड रिटर्न भी चाहते हैं तो फिर आप सरकारी बॉन्ड के बारे में सोच सकते हैं। ये लंबी अवधि के होते हैं और हर साल फिक्स्ड इन्ट्रेस्ट देते हैं।
क्या मासिक ब्याज मिल सकता है -(Regular FD Interest Calculator)
फिक्स्ड डिपॉजिट के पारंपरिक तरीके में लोग पूरा ब्याज मैच्योरिटी पर लेते हैं। इसका फायदा ये होता है कि उन्हे ब्याज पर ब्याज-चक्रवृद्धि ब्याज (compound interest) का फायदा मिल जाता है। लेकिन एसबीआई में आपको रेगुलर ब्याज लेने की सुविधा भी मिलती है।
यहां पर आप मासिक, तिमाही, छमाही और सालाना ब्याज ले सकते हैं। इस तरह रेगुलर ब्याज लेने के लिए एफडी की अवधि कम से कम एक साल की होनी चाहिए।
फिक्स्ड डिपॉजिट पर टैक्स (Tax on term Deposit)
सरकार हमारी कई तरह की इनकम पर टैक्स लगाती है। और इन कई तरह के इनकम में ब्याज भी शामिल है। फिर चाहे वो सेविंग अकाउंट से मिले या फिर टर्म डिपॉजिट से। लेकिन ये जरूरी नहीं है कि आपके एफडी के इन्ट्रेस्ट इनकम पर ब्याज लगे ही। क्योंकि ब्याज लगेगा या नहीं और कितना लगेगा या इस बात पर डिपेंड करता है कि आपकी कुल कमाई कितनी है।
अगर आपकी कुल कमाई टैक्सेबल होगी तो ब्याज पर भी टैक्स लगेगा। अगर कुल कमाई पर टैक्स नहीं बनता है तो फिर एफडी का इन्ट्रेस्ट इनकम भी टैक्स फ्री हो जाएगा।
एफडी पर जो ब्याज मिलता है उस पर टीडीएस लगाने का भी नियम है। टीडीएस का मतलब ये कि ब्याज देने से पहले ही टैक्स काट लिया जाएगा। टीडीएस काटते समय ये नहीं देखा जाएगा कि आपकी कुल इनकम पर कितना टैक्स बनता है।
हालांकि इसके लेकर टेंशन नहीं लेना है क्योंकि ये टीडीएस आपके नाम पर टैक्स डिपॉजिट होता है। अगर ये आपकी कुल टैक्स देनदारी से ज्यादा होगा तो आप इनकम टैक्स रिटर्न भरकर रिफंड भी ले सकते हैं।
लेकिन अगर आपकी कुल इनकम टैक्स के दायरे से कम है तो आप रिटर्न और रिफंड के झंझट से बच सकते हैं। इसके लिए हर वित्त वर्ष के शुरू मैं बैंक के पास फॉर्म 15G या फॉर्म 15H (सीनियर सिटिजन के लिए) जमा करना होगा। इस फॉर्म में आप बताते हैं कि आपकी कुल इनकम टैक्स के दायरे से बाहर है इसलिए टीडीएस ना काटा जाए।
SBI में एफडी की ब्याज दर (Interest Rate)
स्टेट बैंक में फिक्स्ड डिपॉजिट की ब्याज दर सेविंग अकाउंट के ब्याज दर से ज्यादा होती है। आमतौर पर जैसे-जैसे एफडी की मियाद बढ़ती जाती है वैेसे-वैसे इन्ट्रेस्ट रेट भी बढ़ता जाता है। हालांकि कभी-कभी लंबी अवधि के एफडी का रेट कम भी हो जाता है।
स्टेट बैंक फिक्स्ड डिपॉजिट में quarterly Compounding होता है। मतलब हर तीन महीने में ब्याज कैलकुलेट करके मूलधन में जोड़ दिया जाता है। और उसके बाद नए बैलेंस पर ब्याज दिया जाता है।
हिसाब के इस तरीके की वजह से आपको असल इन्ट्रेस्ट इनकम घोषित ब्याज दर से ज्यादा होती है। जैसे अगर आप स्टेट बैंक में एक लाख रुपए की एफडी दो साल के लिए करते हैं तो आपके लिए घोषित इन्ट्रेस्ट रेट 7% होगा। लेकिन एक साल बाद आपको 1,07,000 के बजाय 1,07,186 रुपए मिलेंगे। मतलब आपको साल भर में 7.19% प्रतिशत का रिटर्न मिलेगा।
SBI में अन्य Term Deposits
टर्म डिपॉजिट या फिक्स्ड डिपॉजिट में हम लोग एक तय अवधि के लिए पैसा जमा करते हैं और हमें एक फिक्स्ड रेट पर इन्ट्रेस्ट मिलता है। इस टर्म डिपॉजिट के कुछ और प्रकार है जो आपकी खास जरूरतो को ख्याल में रखकर बनाया गया है।
Multi Option Deposit
ये डिपॉजिट आपके SBI सेविंग अकाउंट से लिंक होता है। इस टर्म डिपॉजिट से आप जितनी जरूरत हो उतना पैसा कभी भी निकाल सकते हैं। पैसा निकालने पर कोई पेनाल्टी नहीं लगती है। जितने समय के लिए जितना पैसा जमा रहता है ब्याज उसी के मुताबिक मिलता है। इस डिपॉजिट में SBI ऑटोस्वीप के जरिए भी पैसा जमा हो जाता है।
ऑटोस्वीप फिक्स्ड डिपॉजिट करने का एक तरीका है। इस तरीके में जब सेविंग अकाउंट में एक लिमिट से ज्यादा पैसा हो जाता है तो उसे अपने आप ही मल्टी ऑप्शन डिपॉजिट अकाउंट में जमा कर दिया जाता है।
Tax Saving Deposit
ये टैक्स सेविंग के लिए खास तरह का फिक्स्ड डिपॉजिट है। इसमें कम से कम पांच साल के लिए पैसा जमा होता है। आप इस डिपॉजिट से मैच्योरिटी से पहले पैसा नहीं निकाल सकते हैं। इसका ब्याज दर नॉर्मल फिक्स्ड डिपॉजिट वाला ही होता है। लेकिन इसमें पैसा जमा करके आप इनकम टैक्स एक्ट के सेक्शन 80सी के तहत टैक्स छूट ले सकते हैं।
सर्वोत्तम टर्म डिपॉजिट
ये हर मामले में नॉर्मल टैक्स डिपॉजिट की तरह होता है। लेकिन इसमें मैच्योरिटी से पहले पैसा निकालने की सुविधा नहीं मिलती है। इस तरह के डिपॉजिट में 0.3% से 0.4% ज्यादा ब्याज दर होता है। इस डिपॉजिट में कम से कम 15 लाख रुपए जमा करना होता है।
Annuity Deposit
बैंक से जो हम लोन लेते हैं ये डिपॉजिट उसका उल्टा है। लोन में हम एक बड़ी रकम लोन लेते हैं और उसके बाद EMI के जरिए धीरे धीरे उसे चुकाते हैं। इस EMI में ब्याज और मूलधन दोनों होता है। लोन की अवधि खत्म होने पर इस तरह से हम पूरा लोन अमाउंट और ब्याज चुका देते हैं.
इसी तरह एन्युटी में हम एक बड़ी रकम जमा करते हैं। बदले में बैंक हमको हर महीने एक फिक्स्ड अमांउट देता है। इस अमाउंट में ब्याज और हमारा मूलधन दोनों होता है। इस तरह धीरे-धीरे बैंक हमको हमारा पूरा पैसा और ब्याज दोनों चुका देता है।